बजट 2019: न्यूनतम आय योजना लागू होने पर बढ़ेगा 1500 अरब रुपये का बोझ, किसानों को मिलेंगे इतने रुपये
Budget 2019: यदि अंतरिम बजट में छोटे और सीमांत किसानों को प्रति वर्ष 8,000 रुपये प्रति एकड़ की राशि दी जाती है तो औसत आधार पर एक सीमांत किसान और एक छोटे किसान को क्रमश: 7,515 रुपये और 27,942 रुपये प्रति वर्ष मिलेंगे.
सरकार 2019-20 के लिए अंतरिम बजट में किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है.
सरकार 2019-20 के लिए अंतरिम बजट में किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है.
1 फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट में गरीबों के लिए न्यूनतम आय योजना की घोषणा की जा सकती है. इससे देश पर कम से कम 1500 अरब रुपये का बोझ पड़ेगा. हालांकि, यह किसान कर्ज माफी से बेहतर विकल्प होगा. घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने मंगलवार को यह उम्मीद जाहिर की है. एजेंसी ने कहा कि विपक्षी दल कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता में आने पर न्यूनतम आय योजना लागू करने की घोषणा की. इसके बाद एजेंसी ने उम्मीद जताई है कि आगामी बजट में इस तरह के उपाय किए जा सकते हैं.
किसान ऋण माफी से ज्यादा अच्छा
इसमें कहा गया, "केंद्र की ओर से प्रायोजित न्यूनतम आय योजना किसान ऋण माफी से ज्यादा अच्छा विकल्प है." एजेंसी ने कहा कि तेलंगाना की रैत बंधु योजना की तर्ज पर सरकार 2019-20 के लिए अंतरिम बजट में किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है. एजेंसी ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए केंद्र और राज्य सरकार दोनों का बजट किसानों के संकट को दूर करने के उपायों पर आधारित होगा.
1468 अरब रुपये का बोझ पड़ेगा
यदि अंतरिम बजट में छोटे और सीमांत किसानों को प्रति वर्ष 8,000 रुपये प्रति एकड़ की राशि दी जाती है तो औसत आधार पर एक सीमांत किसान और एक छोटे किसान को क्रमश: 7,515 रुपये और 27,942 रुपये प्रति वर्ष मिलेंगे. एजेंसी ने कहा, "यह आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 में प्रस्तावित गरीबों के लिए न्यूनतम आय योजना के तहत प्रस्तावित राशि के स्तर काफी कम हैं. इस योजना से केंद्र पर 1468 अरब रुपये यानी जीडीपी के 0.70 प्रतिशत का बोझ पड़ेगा.
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केंद्र और राज्य में बंट सकती है लागत
यदि यह योजना केंद्र प्रायजित होगी, तो यह लागत केंद्र और राज्यों के बीच बंट जाएगी. केंद्र को जीडीपी के 0.43 प्रतिशत के बराबर हिस्से का वहन करना होगा और राज्यों को जीडीपी के 0.27 प्रतिशत का वहन करना होगा. हालांकि यह एक आसान विकल्प भी नही माना जा सकता क्योंकि इससे राज्यों की वित्तीय स्थिति पर और दबाव बढ़ेगा.
फोटो साभार - पीटीआई
केन्द्र प्रायोजित योजना के तौर पर यदि यह शुरू की जाती है तो इसका आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश सरकारों पर ज्यादा असर होगा. इन राज्यों की सरकारों ने पहले ही किसान कर्ज माफी योजना लागू की है. केवल छत्तीसगढ़ और झारखंड के पास ही नई योजना को वहन करने की कुछ गुंजाइश होगी.
(इनपुट एजेंसी से)
07:44 PM IST